
बिहार शिक्षक सिर्फ एक शब्द नहीं ,बल्कि बच्चों के भाग्य निर्माता हैं, की वो बड़े होकर क्या बनेंगे और क्या करेंगे । लेकिन आज के शिक्षक तो खुद ही शिक्षक शब्द का मतलब नहीं समझतें हैं। तो बच्चों को शिक्षा कहां से देंगे। बच्चे तो बच्चे यहां तक की शिक्षक भी परीक्षाओं में नकल करते पकड़े गए हैं।
जी हाँ हम बिहार में शिक्षा स्थिति के बारे में ही बात कर रहे हैं। अभी तो बिहार में टॉपर घोटाले की चर्चा ख़त्म भी नहीं हुई कि बिहार में हुए नकल की नई तस्वीरें सामने आ गई हैं। इस बार छात्र नहीं, बल्कि शिक्षक इस नकल में शामिल दिख रहे हैं।
इन सब को देखते हुए सब के मन में प्रश्न उठ रहे होंगे…. की बिहार में शिक्षक और छात्र आखिर नकल क्यों कर रह हैं? तो हम आपको बता दे की बिहार के कुछ लोग शिक्षा के महत्त्व ठीक से नहीं जान पाए हैं और इन लोगो के लिए शिक्षा का मतलब हैं डिग्री लेना।
कारण हैं यहां के है कुछ लोग जो शिक्षा को धंधा बना कर बैठे हैं।शिक्ष के व्यपारियों के लिए डिग्री बाज़ार में मिलने वाले एक पेपर की तरह हैं ,जो कोई भी आए और आकर बोले ई भाई साहब मुझे बी.ए. की एक प्रथम श्रेणी की डिग्री देना ,तो कोई बोले ई भाई मुझे एम.ए. की एक प्रथम श्रेणी की डिग्री देना,और ये एक दुकानदार की तरहउनको डिग्री दे देतें हैं। और बदले में पैसे ले लेते हैं। तो सभी के मन में अब ये प्रश्न होगा की … क्या बिहार में यही स्थिति बनी रहेगी या बदलेगा बिहार ?
वाकई अगर बिहार को बदलना हैं तो सबसे पहले बिहार में हो रहे शिक्षा घोटाले के गिरोह को जड़ से खत्म करना होगा। और शिक्षकों द्वारा बच्चों को समझाना होगा की शिक्षा का मतलब डिग्री लेना की नहीं हैं बल्कि शिक्षा हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूण अंग हैं शिक्षा के बिना एक पग भी चलना मुस्किल हैं।
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